नित्य पठनीय मंत्र daily reciting Mantra
pratah mantra, all god mantra, Saraswati Mata Mantra, Shanti Mantra, Bhojan Mantra, Rivers Mantra, Mountains/Hills Mantra, Nau Grah Mantra, Seven holy places Mantra
नित्य पठनीय मंत्र daily reciting Mantra
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नित्य पठनीय मंत्र daily reciting Mantra
कराग्रे वसते लक्ष्मी, कर मध्ये सरस्वती |
कर मूले तू गोविंदा, प्रभाते कर दर्शनं ||
समुद्र वसने देवि, पर्वतस्तन मंडले |
विष्णु पत्नि नमस्तुभ्यं, पाद्स्पर्शम् क्षमस्व
में ||
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी, भानु:शशी
भुमिसुतौ बुधश्च |
गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः, सर्वे ग्रह:
शान्तिकरा भवन्तु ||
पृथ्वी सगन्धा सरसा स्ववापः, स्पर्शीच वायुज्वलनं
च तेजः |
नभः सशब्द महता सहैव, कुर्वन्तु सर्वे मम
सुप्रभातम् ||
म्हेंद्रोमलयः सहयो,हह देवतात्मा हिमालयः |
ध्येयोरेवतको विन्ध्यो, गिरिश्चारावलिस्तथा ||
गंगा सिन्धुश्च कावेरी, यमुना च सरस्वती |
रेवा महानदी गोदा, ब्रह्मपुत्र:पुनातुमाम् ||
अयोध्या मथुरा माया, काशी कांची अवंतिका |
पूरी द्वारावतीचैव, सप्तैता मोक्ष दायिका: ||
प्रयागं पाटलिपुत्रम्, विजयानगरम् पुरीम् |
इन्द्रप्रस्थम् गयां चैव, प्रत्यूषे प्रत्यहं
स्मरेत् ||
अरुन्धत्यनसूया च, सावित्री जानकी सती |
तेजस्विनी च पांचाली, वंदनीया निरंतरम् ||
लक्ष्मीरहिल्या चन्नम्मा मीरा दुर्गावती तथा |
कणग्गी च महासाध्वी, शारदाच निवेदिता ||
वैन्यम् पृथुम् हैह्यम् अर्जुनम् च, शाकुंतलेय
भरतं नलम् च |
रामम् चयोवैस्मरति प्रभाते, तस्यार्थलाभो विजयश्च
हस्ते ||
सनत्कुमार: सनक: सन्दन: सनात्नोप्याsसुरिपिंलग्लौ च।
सप्त स्वरा: सप्त रसातलनि कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम॥
सप्त स्वरा: सप्त रसातलनि कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम॥
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षग्वम् शान्ति:पृथ्वी
शान्तिराप: शान्तिरोषधय:
शान्ति: वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा:
शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:सर्वग्वम्
शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
हिन्दी भावार्थ: सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने। हे भगवन हमें ऐसा वर दो!
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
हिन्दी भावार्थ: सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने। हे भगवन हमें ऐसा वर दो!
ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
सह वीर्यं करवावहै तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
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